गंगा-यमुना का जलस्तर घटा,लेकिन दुश्वारियां बरकरार,अब खाने-पीने के पड़े लाले,नावें और मोटर बोट नाकाफी

गंगा-यमुना का जलस्तर घटा,लेकिन दुश्वारियां बरकरार,अब खाने-पीने के पड़े लाले,नावें और मोटर बोट नाकाफी

06 Aug 2025 |  33

 

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर कम हो रहा है,लेकिन खतरा अभी बरकरार है।बाढ़ की चपेट में आई लगभग पांच लाख की आबादी की दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं।हालात ये है कि लोगों के सामने भोजन-पानी का संकट खड़ा होने लगा है।राहत शिविरों में शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।प्रशासन हाई अलर्ट मोड पर है।मंडलायुक्त और डीएम ने मंगलवार को व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर तैयारियां परखीं।

 

यमुना के जलस्तर में गिरावट सोमवार शाम से ही शुरू हो गई थी।मंगलवार को भी यमुना के जलस्तर में गिरावट जारी रही। सिंचाई विभाग के मंगलवार शाम की रिपोर्ट के अनुसार यमुना में गिरावट प्रति घंटे 075 सेमी दर्ज की गई है।वहीं फाफामऊ में गंगा के जलस्तर में भी प्रति घंटे एक सेमी की गिरावट दर्ज की गई।इसका नतीजा ये रहा कि गंगा का जलस्तर शाम पांच बजे लगभग 86 मीटर से नीचे चला गया।राहत की बात ये भी रही कि गंगा और यमुना का पानी तेजी से निकल रहा है। इसका नतीजा रहा कि छतनाग में जलस्तर में प्रतिघंटे तीन सेमी की गिरावट दर्ज की गई।गंगा और यमुना के जलस्तर में गिरावट को लेकर सिंचाई विभाग के अफसरों के संकेत सकारात्मक हैं।अधिशासी अभियंता दिग्विजय सिंह का कहना है कि फिलहाल दोनों नदियों के जलस्तर में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है।

 

गंगा-यमुना में बाढ़ की स्थिति (6 अगस्त सुबह 8 बजे तक) खतरे का निशान है 84.734

 

यमुना का जलस्तर 85.31 रिकॉर्ड किया गया।करीब एक मीटर पानी कम हुआ है।गंगा का जलस्तर 85.74 सेंटीमीटर रिकॉर्ड किया गया।जलस्तर करीब आधा मीटर पानी कम हुआ है। 

 

अब खाने-पीने के भी लाले

 

बाढ़ में फंसे लोगों की दुश्वारियां भी बढ़ती जा रही है।बीमार होने की शिकायतें बढ़ने के साथ ही भोजन-पानी का भी भीषण संकट पैदा हो गया है।प्रशासन की ओर से मंगलवार को अलग-अलग क्षेत्रों में भोजन के पैकेट और राहत सामग्री वितरित कराई गई,लेकिन यह नाकाफी साबित हुई। सलोरी के रमेश पुरोहित, छोटा वघाड़ा में फंसे दुर्गेश कुशवाहा, म्योराबाद की रंगीता आदि बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर हैं। 


 
नाकाफी साबित हो रहीं नावें और मोटर बोट

 

बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने और लाने और ले जाने के लिए 323 नावें और तीन मोटर बोट लगाई गई हैं। सदर तहसील के अंतर्गत 133 नावें चलाई जा रही हैं,लेकिन इनका लाभ सभी बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिल पा रहा है।कई बाढ़ क्षेत्रों में नावें पहुंच ही नहीं पा रही हैं।बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन ने खाने के पैकेट,लाई-चना समेत अन्य राहत सामग्री पहुंचाई,लेकिन यह नाकाफी साबित हुई।लोग कंट्रोल रूम के अलावा अन्य लोगों को लगातार फोन करते रहे,लेकिन मदद नहीं मिली। 

 

खेती को नुकसान,मांगी गई रिपोर्ट

 

बाढ़ की चपेट में आने से हजारों एकड़ फसल पानी में डूब गई है।जिला प्रशासन इस नुकसान का आकलन कराएगा,इसके लिए सर्वे शुरू हो गया है।तहसीलों और ब्लॉकों से प्रभावित क्षेत्र,बोया गया क्षेत्र, कटान की स्थिति, तीन इंच से अधिक गाद वाली खेती योग्य भूमि का क्षेत्रफल, फसल क्षति आदि बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है।

 

 बाढ़ क्षेत्रों में अब भी आठ हजार से अधिक लोगों के घरों में अंधेरा

 

बाढ़ से निचले इलाकों में अब भी आठ हजार से अधिक लोगों के घरों में अंधेरा है।चार दिन बाद भी इनके घरों में बिजली नहीं है।जलस्तर में मामूली गिरावट के बाद मंगलवार को कई इलाकों में आपूर्ति बहाल हो गई,इससे अशोकनगर की बेली कॉलोनी की बकरीद वाली गली समेत अन्य मोहल्लों में रहने वालों को राहत मिली।वहीं गंगानगर इलाके में पानी में ट्रांसफॉर्मर डूबा होने से बिजली आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है। बाढ़ प्रभावित कीडगंज के यमुना बैंक रोड स्थित उपकेंद्र व दारागंज के बक्शी बांध जलमग्न हैं,जिससे वहां बिजली बहाल नहीं हो सकी है। मंगलवार को मुख्य अभियंता राजेश कुमार ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का निरीक्षण किया। मुख्य अभियंता ने कहा कि दूसरी लाइन से संबंधित मोहल्लों में बिजली आपूर्ति बहाल की जा रही है।

 

गंगा-यमुना की थमी रफ्तार,जागी राहत की उम्मीद

 

प्रयागराज में गंगा और यमुना के जलस्तर में मंगलवार को थोड़ी गिरावट दर्ज की गई,लेकिन खतरा अभी बरकरार है। फाफामऊ में शाम तक गंगा खतरे के निशान (84.738 मीटर) से ऊपर 85.99 मीटर पर रहीं। वहीं नैनी में यमुना का जलस्तर 85.79 मीटर रिकॉर्ड किया गया। दोनों नदियों के खतरे के निशान से ऊपर बहने से लगभग पांच लाख की आबादी बाढ़ से जूझ रही है।समय के साथ बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां भी बढ़ती जा रही हैं।आशियाना छूटने के बाद अब उनके सामने भोजन-पानी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राहत शिविरों में लगातार बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।बीते रोज जहां 8386 लोगों ने सरकारी राहत शिविरों में शरण ली थी, वहीं मंगलवार को यह संख्या बढ़कर 9470 हो गई। यह संख्या अभी और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। 

 

अंतिम सफर भी मुश्किल,करनी पड़ी वैकल्पिक व्यवस्था

 

बाढ़ से अंतिम संस्कार की राह भी कठिन हो गई है।ऊपर से प्रशासन और नगर निगम की अव्यवस्था ने अपनों को खोने वालों का दर्द और बढ़ा दिया है।अंतिम संस्कार के लिए घाटों पर किसी तरह के इंतजाम नहीं हैं।बीते रोज अत्यधिक दबाव के कारण दारागंज विद्युत शवदाह गृह भी जवाब दे गया।

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