शाहजहांपुर।उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में खेली जाने वाली अनोखी होली विश्वविख्यात है।होली के दिन लाट साहब का जुलूस निकलता है।जुलूस में भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।जुलूस के आगे चल रहे भैंसा गाड़ी पर बैठे लाट साहब का स्वागत जूतों और झाड़ुओं से किया जाता है।यहां जुलूस से पहले मुस्लिम धार्मिक स्थलों को ढक दिया जाता है।होली के दिन शाहजहांपुर में लाट साहब के दो जुलूस निकलते हैं। पहला चौक क्षेत्र से और दूसरा सरायकाइयां से निकलता है।
शाहजहांपुर की होली बेहद ही संवेदनशील मानी जाती है।यहां लाट साहब के निकलने वाले जुलूस को लेकर प्रशासन एक महीने पहले से तैयारी शुरू कर देता है।शाहजहांपुर में 1857 से होली के दिन लाट साहब का जुलूस निकलता है।यहां होली के दिन अंग्रेजों के प्रति अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए लाट साहब बने शख्स का जूते और झाड़ूओं से जगह जगह स्वागत किया जाता है।
बड़े लाट साहब के जुलूस के मार्ग में पड़ने वाले मुस्लिम धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां धार्मिक स्थलों के बाहर बैरिकेटिंग करने के अलावा इन धार्मिक स्थलों को तिरपाल से ढक दिया गया है ताकि कोई हुड़दंगी धार्मिक स्थलों के ऊपर रंग ना डाल दें।इतना ही नहीं धार्मिक स्थलों की निगरानी ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी कैमरा से की जा रही है। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए जाली भी लगाई गई है।
बड़े लाट साहब का जुलूस चौक क्षेत्र स्थित फूलमती माता के मंदिर में पूजा अर्चना के बाद ही निकलता है।यह जुलूस चौक कोतवाली भी पहुंचता है।लाट साहब कोतवाल से साल भर का क्राइम रिकॉर्ड मांगते हैं। इसके बाद कोतवाल लाट साहब को खुश करने के लिए उपहार भेंट करते हैं।उसके बाद जुलूस नगर के कई क्षेत्रों से निकलने के बाद सदर बाजार क्षेत्र स्थित बाबा विश्वनाथ मंदिर पहुंचता है।यहां जुलूस का समापन होता है।
शाहजहांपुर में होली के मौके पर निकलने वाला यह लाट साहब का जुलूस विश्व विख्यात है। देश के प्रशासनिक सेवा में चयनित अधिकारियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग में तीन जुलूस का मैनेजमेंट सिखाया जाता है।उसमें से एक है शाहजहांपुर में निकालने वाला लाट साहब का जुलूस है। जुलुस का बेहतर प्रबंधन कैसे किया जाए यह प्रशासनिक सेवा में चयनित अधिकारियों सिखाया जाता है।