रावण के पिता ने स्थापित किया था शिवलिंग, भगवान शंकर के इस दरबार की पौराणिक है मान्यता

रावण के पिता ने स्थापित किया था शिवलिंग, भगवान शंकर के इस दरबार की पौराणिक है मान्यता

20 Mar 2024 |  24

 

चित्रकूट।चित्रकूट प्रभु श्रीराम की तपोस्थली रही है।प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास की साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में व्यतीत किया था।चित्रकूट में क‌ई मंदिर है और हर मंदिर का अपना इतिहास है।हर मंदिर अपने अंदर अनोखा राज समेटे हुए है।चित्रकूट में एक ऐसा मंदिर है जहां की मान्यता है कि यहां शिवलिंग को खुद ब्रह्मा जी और प्रभु श्रीराम ने स्थापित किया था।

 

चित्रकूट के रामघाट के तट पर मतगजेंद्र नाथ का मंदिर है। मान्यता है कि यहां विराजमान शिवलिंग को प्रभु श्रीराम ने अपने हाथ से बनाकर स्थापित किया था तो वहीं ब्रह्मा जी ने यज्ञ के दौरान निकले शिवलिंग को भी इसी मंदिर में स्थापित कर दिया था। भगवान शंकर को चित्रकूट का राजा भी कहा जाता है।यहां पर दूध और जल के साथ राम-राम लिखा हुआ बेलपत्र अर्पित किया जाता है।

 

जब प्रभु श्री राम को 11:50 वर्ष वनवास का हुआ था तब प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल का समय इनसे पूछ कर ही चित्रकूट में व्यतीत किया था।सृष्टि के विस्तार से ही भगवान शिव चित्रकूट के राजा हैं।महाराजाधिराज मतगजेंद्र नाथ के नाम से प्रसिद्ध भगवान शंकर का मंदाकिनी नदी के रामघाट पर मंदिर बना हुआ है।जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचते हैं। भगवान शंकर को बेलपत्र और फूल चढ़ाने से मनुष्य की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है।

 

चित्रकूट के पुजारी मोहित महराज ने बताया कि मतगजेंद्र नाथ सरकार चित्रकूट के राजा है।भगवान श्रीराम को जब वनवास हुआ था तो भगवान श्रीराम चित्रकूट आए।इन्ही की आज्ञा से साढ़े ग्यारह वर्ष रहे।श्री राम ने लक्ष्मण जी को कहा की अगर हमको चित्रकूट में रहना है, तो हमको पहले उनसे आज्ञा लेनी होगी।उन्होंने लक्ष्मण जी को आदेश लेने के लिए राजा के पास भेजा था।जब लक्ष्मण जी आज्ञा लेने पहुंचे तो बाबा भोलेनाथ नृत्य कर रहे थे।जब लक्ष्मण जी लौट के आए और भगवान को बताए की बाबा तो नृत्य कर रहे है।हमने पूछा तो उन्होंने कुछ जवाब ही नहीं दिया।राम जी समझ गए की उन्होंने हमे आदेश दे दिया है।

 

पुजारी मोहित महराज ने बताया की इस मंदिर में जो चार शिव लिंग स्थापित है उसमें एक शिवलिंग की स्थापना श्रीराम, दूसरे की रावण के पिता, तीसरे की ब्रह्मा जी और चौथे शिव लिंग की स्थापन अत्रि मुनि जी द्वारा की गई है।मान्यता है कि चित्रकूट में 6 महीने तक जो भी बाबा मतगजेंद्र नाथ को जलाभिषेक कर कामदगिरिपरिक्रमा और तोता मुखी हनुमान के दर्शन करता है उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।

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