घाटशिला उपचुनाव:कांग्रेस के समर्थन से झामुमो मजबूत

घाटशिला उपचुनाव:कांग्रेस के समर्थन से झामुमो मजबूत

26 Oct 2025 |  25

घाटशिला उपचुनाव:कांग्रेस के समर्थन से झामुमो मजबूत



 



सूर्या हांसदा इनकाउंटर केस पलट सकता है सियासी समीकरण



 



जीतेन्द्र ज्योतिषी,घाटशिला।विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी गठबंधन ने जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी के पक्ष में कांग्रेस के आधिकारिक समर्थन से अपनी स्थिति मजबूत की है,वहीं विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय और संवेदनशील मुद्दे को अंडर करंट बनाने की रणनीति अपनाई है।इस चुनाव में कांग्रेस का समर्थन भले ही ऊपरी तौर पर गठबंधन की ताकत दिखाता हो,लेकिन भाजपा द्वारा उछाला गया सूर्या हांसदा एनकाउंटर केस आंतरिक रूप से आदिवासी बहुल इस क्षेत्र के मतदाताओं को प्रभावित करने का काम कर रहा है।



 



घाटशिला उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सोमेश सोरेन के रूप मे अपना उम्मीदवार उतारा है।सत्ता में शामिल प्रमुख सहयोगी कांग्रेस का खुला और आधिकारिक समर्थन प्राप्त है। इस बात की पुष्टि कांग्रेस के सचेतक विधायक सोनाराम सिंकू ने भी कर दी है। पोस्ट के साथ दी गई फेसबुक लिंक को जरूर देखें।सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने अपने स्थानीय इकाइयों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे झामुमो प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करें। यह समर्थन बिहार के इतर झारखंड में गठबंधन की एकजुटता दर्शाता है और एक बड़ी वोट बैंक को एकजुट करने का प्रयास है।



 



संयुक्त वोट प्रतिशत का गणित झामुमो के पक्ष में जाता दिख रहा है,जिससे उनकी जीत की राह आसान हो सकती है,लेकिन बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं में तालमेल की कमी रहती है या हो जाती है तो यह समर्थन सिर्फ कागजी साबित हो सकता है।दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव को महज विकास या भ्रष्टाचार तक सीमित न रखते हुए गोड्डा के ललमटिया में हुए सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले को जोरशोर से उठा रही है। भाजपा इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए मौजूदा राज्य सरकार पर सत्ता प्रायोजित हत्या और आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगा रही है। इस मुद्दे को बीजेपी नेताओं द्वारा लगातार लघु और वृहत जनसभाओं और प्रदर्शनों में उठाया जा रहा है। 



 



सूर्या हांसदा भले ही घाटशिला से सीधे संबंधित न हों,लेकिन उनका मामला संथाल क्षेत्र में आदिवासी सुरक्षा,पुलिस कार्रवाई की निष्पक्षता और राजनीतिकरण के संवेदनशील विषयों को छूता है।भाजपा की चुनावी रणनीति में इस केस को अंडर करंट भावनात्मक मुद्दा बनाने की है, ताकि यह मतदाताओं के एक बड़े हिस्से खासकर संथाल -आदिवासी समुदाय के मन में वर्तमान सरकार के प्रति रोष पैदा कर सके।ग्रास रूट पर यह मुद्दा स्थानीय स्तर पर आदिवासी कार्ड के तौर पर काम कर सकता है।यदि यह भावना गहरी पैठ बनाती है तो गठबंधन के समीकरणों पर गंभीर असर पड़ सकता है। भले ही चुनावी मंचों पर यह प्रमुखता से न दिखे।



 



घाटशिला का उपचुनाव अब संगठनात्मक समर्थन और भाजपा के भावनात्मक मुद्दे (सूर्या हांसदा केस) के बीच सीधा संघर्ष बन गया है। कांग्रेस का साथ झामुमो को वोट गणित में बढ़त दे सकता है,लेकिन सूर्या हांसदा को लेकर आदिवासियों के बीच पनप रहा असंतोष का अंडर करंट सत्ता विरोधी लहर को हवा दे सकता है।जीत और हार का फैसला अंततः इस बात पर निर्भर करेगा कि मतदाता गठबंधन की संगठनात्मक शक्ति को प्राथमिकता देते हैं या भाजपा द्वारा उछाले गए भावनात्मक और संवेदनशील फर्जी मुठभेड़ के मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।


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