लखनऊ।दीपावली आते ही उल्लुओं पर खतरा मंडराने लगता है।बाजारों में लोग चोरी से उल्लू बेचते हैं।दीपावली की रात लोग धनप्राप्ति की खातिर अंधविश्वास में उल्लू की बलि देकर धन प्राप्ति की कामना करते है।यह बिक्री उल्लू पक्षी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित हैं।उल्लू बेचते हुए पकड़े जाने पर छह महीने की जेल है।
बता दें कि सूबे की राजधानी लखनऊ में पशु-पक्षियो का बाजार चौक, नक्खास और नींबू पार्क में लगता है।कारोबार और शिकार प्रतिबंधित होने के नाते वन विभाग की टीम अलर्ट मोड में है।वन विभाग की दिन-रात निगरानी कर रही है।वन विभाग ने इस संबंध में वन रैंजरों को एक दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसमें दीपावली पर्व के मौके पर उल्लू का अवैध शिकार और व्यापार पर रोक लगाते हुए इनकी बिक्री पर नजर रखने के लिए निर्देश दिए है।यहीं नहीं दीपावली पर तांत्रिक कियाओं के लिए उल्लू का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि प्रतिबंधित प्रजाति के उल्लू पक्षी के अवैध शिकार और व्यापार की संभावना रहती हैं। इस संबंध में समय-समय पर उल्लू पक्षी के अवैध शिकार और व्यापार पर नियंत्रण करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाते है। बावजूद उल्लू की बिक्री पर रोकथाम लगता नजर नहीं आ रहा है।
मांग बढ़ने से उल्लू की कीमत 20 से एक लाख तक
प्रतिबंधित उल्लू का व्यापार करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि दीवाली में उल्लू की मांग बढ़ने से कीमतों पर सीधा असर पड़ता है। अमूमन उल्लू की मांग तंत्र-मंत्र विद्या के लिए भी किया जाता है। साथ ही दीवाली पर धन प्राप्ति की कामना के लिए उल्लू की बलि दी जाती है। कीमत सामान्य दिनों में तीन से पांच हजार रुपये रहता है। दीवाली के समय उल्लू की कीमत बाजारों में 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक देने के लिए तैयार रहते है।
डीएफओ ने ये बताया
डीएफओ सितांशु पांडेय बताते है कि दीपावली पर तांत्रिक कियाओं के लिए प्रतिबंधित प्रजाति के उल्लू के अवैध शिकार और व्यापार की संभावना बढ़ जाती है।ऐसी स्थिति को देखते हुए स्थानीय सूचना तंत्र को मजबूत बनाते हुए अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सघन गश्त,निगरानी और रात्रि गश्त की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश रेंज के सभी वन कर्मियों को दिए गए हैं।
प्रतिबंधित प्रजाति के उल्लू,तोता,मुनिया,तीतर,बटेर की बढ़ी मांग
डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया कि दीपावली के दौरान प्रतिबंधित प्रजाति के पक्षियों में उल्लू, तोता,मुनिया,तीतर और बटेर की मांग बढ़ जाती हैं।मांग बढ़ने से अवैध शिकार और व्यापार होने लगते है,जिसे रोकने के लिए विशेष सजगता बरतते हुए स्थानीय कस्बो और बाजारों में औचक छापेमारी के साथ निगरानी की कार्यवाही की जा रही है।प्रतिबंधित प्रजाति के पक्षियों के अवैध शिकार और व्यापार को रोकने के लिए छापे की कार्यवाही की जा रही है,जिसमें जिला प्रशासन, पुलिस विभाग,स्थानीय ईको क्लब,वन्य जीव क्षेत्र में एनजीओ का सहयोग लेकर उल्लू की अवैध बिक्री पर रोक लगाने की कार्यवाही की जा रही है।