बाराबंकी में आज भी मौजूद है भगवान राम का बचपन में चलाया एक तीर,सप्त ऋषि आश्रम अब खंडहर में हो रहा तब्दील 

बाराबंकी में आज भी मौजूद है भगवान राम का बचपन में चलाया एक तीर,सप्त ऋषि आश्रम अब खंडहर में हो रहा तब्दील 

30 Jul 2025 |  47

 

बाराबंकी।गुरु गृह पढ़न गए रघुराई,अल्प काल विद्या सब आई...’रामचरितमानस की ये चौपाइयां जिस पवित्र स्थल से जुड़ी हैं,वह उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का ऐतिहासिक सप्त ऋषि आश्रम है।यहीं भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ महर्षि विश्वामित्र के सानिध्य में शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की थी।इसी आश्रम के जंगल में राक्षसों का वध किया था।बदकिस्मती देखिए कि आज वही आश्रम खंडहर में तब्दील होता जा रहा है,अपनी गौरवशाली पहचान खो रहा है।

 

अयोध्या राजवंश का अंश रहे बाराबंकी जिले का सतरिख क्षेत्र सप्त ऋषि आश्रम के लिए पहचान रखता है।यहां कभी महर्षि वशिष्ठ का आश्रम था,जहां सप्त ऋषियों ने कठोर तपस्या की थी।भगवान राम ने यहीं लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ शिक्षा-दीक्षा ली थी।मुगल आक्रमणकारियों ने इस आश्रम को ध्वस्त कर दिया था,जिसके निशान आज भी मौजूद हैं।

 

सतरिख-चिनहट मार्ग पर सप्त ऋषि आश्रम है।इस आश्रम में भगवान राम,लक्ष्मण और मां सीता की मूर्तियां स्थापित हैं।पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम के जन्म से पहले यह एक गुरुकुल था,जहां ऋषि-मुनि निवास करते थे।राक्षसों के नित्य उपद्रव से परेशान होकर गुरु विश्वामित्र खुद अयोध्या गए और राजा दशरथ से चारों बेटों को मांग लाए।सबको धनुष विद्या सिखाई।सप्त ऋषि आश्रम क्षेत्र में देवघरा माता मंदिर और प्राचीन शिवलिंग भी है, जो भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है।

 

महंत नानक शरण दास बताते हैं कि धनुष विद्या सीखने के बाद भगवान राम ने राक्षसों का संहार किया था।आश्रम में ऐसे कई साक्ष्य हैं,जो इसका प्रमाण देते हैं।शरण दास ने बताया कि भगवान राम जब धनुष विद्या सीख रहे थे,तब एक तीर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर गड़ गया था।अब वह पत्थर का है, जिसकी लोग पूजा-अर्चना करते हैं।आश्रम के पास नदी बहती है,जहां भगवान राम स्नान करते थे।एक प्राचीन कुआं भी है, जिसका पानी आश्रम के शिष्य पीते थे।

 

बता दें कि लगभग 1027 ईसा पूर्व के आसपास जब महमूद गजनवी के बहनोई सैयद साहू ने अपने लड़के सालार मसूद के साथ आक्रमण किया था,तो महर्षि वशिष्ठ के सप्त ऋषि आश्रम और मंदिर को तोड़ दिया गया।आश्रम के महंत रहे सिद्ध पुरुष बाबा लाल दास ने अपने मुक्के के प्रहार से मुगल आक्रांता के हाथी को गिरा दिया था।आज भी उस हाथी का एक टूटा दांत आश्रम में मौजूद है,जो इस क्षेत्र के समृद्ध और संघर्षपूर्ण इतिहास का जीता जागता प्रमाण है।ऋषि-मुनि की परंपरा और रामायण काल के महत्वपूर्ण अध्यायों से जुड़ी यह पवित्र भूमि आज संरक्षण की बाट जोह रही है।

ट्रेंडिंग