उपायुक्त के उद्घाटन के बाद भी सरकारी फाइलों में दबा है गार्बेज प्लांट, नहीं हो सका चालू मच्छड़दानी लगाकर भोजन करने को विवश है ग्रामीण 

उपायुक्त के उद्घाटन के बाद भी सरकारी फाइलों में दबा है गार्बेज प्लांट, नहीं हो सका चालू मच्छड़दानी लगाकर भोजन करने को विवश है ग्रामीण 

23 Apr 2024 |  28

 

प्रतिनिधि,पाकुड़। लगभग नौ करोड़ की लागत से जिले के उपायुक्त मृत्युंजय बरनवाल द्वारा चापाडांगा स्थित गार्बेज प्रोसेसिंग प्लांट का उद्घाटन किया गया था, लेकिन अब तक प्लांट चालू नही हो सका।

 

 इस संबंध में नगर परिषद के प्रशासक कमलकांत मिश्रा ने बताया की पॉल्यूशन कंट्रोल से सीटीओ सर्टिफिकेट नहीं मिलने के कारण चालू नहीं हो पाया है, जो जल्द होने की संभावना है। वहीं इस प्लांट के आस पास के गांव में बीमारी दस्तक देने जा रही है।कारण इस प्लांट से पूरा आसपास के गांव में मक्खियां फैल रही है,जिससे चापाडांगा के ग्रामीण परेशान है।मक्खियों की संख्या इस कदर बढ़ी हुई है कि ग्रामीण भोजन भी मच्छड़दानी लगाकर करते है। इस गांव में स्थित चापाकल से गंदा पानी भी निकल रहा है,जिस कारण ग्रामीण पोखर का पानी पीने को मजबूर है। एक और भीष्म गर्मी और पानी न मिलना मतलब एक सवालिया निशान जिला प्रशासन में पैदा करती है। 

 

 ग्रामीणों ने बताया कि आज तक सड़क किनारे निर्मित नाली की सफाई नहीं हुई है। वोट के समय हम लोग वोट देते है, लेकिन आज हालत बद्दतर है। गांव में छोटे बच्चे है, जो कभी भी बीमार पड़ सकते है। दुर्भाग्य की बात है कि गांव में किसी प्रकार का कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं होती है। कोई जन प्रतिनिधि हालचाल पूछने भी नहीं आता है। वहीं दूसरी और प्लांट चालू नहीं होने से पूरा शहर से कचड़ा तो उठाया हर दिन जा रहा है, लेकिन कचड़े को वजन कर ढेर बनाया जा रहा है। 

 

इस संबंध में प्लांट में कार्यरत कर्मी सूरज ने बताया कि कभी-कभी मशीन को चलाया जाता है,लेकिन प्लांट में ऐसी कोई गतिविधि नहीं दिखा। वहीं प्लांट के सूत्रो की माने तो कुल कचड़ा उठाने के लिए 19 वाहन हैं, जिसमें से 9 खराब पड़ा हुआ है और 10 संचालित है,जिसमें भी कुछ ऐसे वाहन है, जो हमेशा खराब होती रहती है। सवाल यह है कि जब कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो उद्घाटन कैसे हो गया और उद्घाटन हो जाने के बाद आज तक चालू नहीं हुआ।आखिर इसका जिम्मेवार कौन है।

 

नगर परिषद से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक बार सीटीओ सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया गया था।पुनः एक सफ्ताह पहले आवेदन किया गया है तो आखिर एक बार रद्द क्यों हुई थी। कहीं शहर वासियों के उम्मीद पर पानी न फिर जाए। जरूरत है विभाग और सरकार को इस करोड़ों की लागत से बने योजना पर ध्यान देने की और सुचारू रूप से संचालन की।

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