विशेष संवाददाता,रांची। भारत सरकार के उपक्रम एचईसी की बदहाली पर संज्ञान नहीं लिया गया तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर इसे बचाने की गुहार लगाएंगे। उक्त बातें बुधवार को राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात के बाद इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (आई.एन.डी.आई.ए) गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने कही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि त्योहार का मौसम आने वाला है और एचईसी के कर्मचारियों को 18 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार के लिए एचइसी एक बड़ी धरोहर है।इसको बचाना जरूरी है। यह कलाम साहब और डॉ मनमोहन सिंह की धरोहर है, लेकिन नरेंद्र मोदी के शासनकाल में ये घाटे में है। एचइसी के पास वर्किंग कैपिटल नहीं है, ना ही रॉ मैटेरियल है। इसरो पर जब राज्यसभा में चर्चा हो रही थी उस वक्त भी एचईसी की बदहाली पर सवाल उठाया गया था।
राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी ने कहा कि राज्यसभा में एचईसी के मुद्दे को उठाया था। एशिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री आज बदहाल स्थिति में है। देश में करोड़ों रुपये की लागत से प्रतिमाएं बन रही हैं। दूसरी तरफ एचईसी बदहाल है।महुआ माजी ने कहा कि प्रतिमा जरूर बनायें, लेकिन केंद्र सरकार को एचईसी को लेकर भी सकारात्मक पहल करने की जरूरत है।
डॉ महुआ ने कहा कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिलकर आग्रह किया गया है कि इस विषय पर गंभीरता पूर्वक विचार करें। 2045 तक भारत को विकसित देश में लाना है तो एचईसी का भी होना बहुत जरूरी है। वहीं सुबोधकांत ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही एचईसी का दौरा करेंगे।
सीपीआई के अजय सिंह ने कहा कि एचईसी को बेचने की जो साजिश केंद्र सरकार कर रही उनका मनसूबा पूरा नहीं होगा।केंद्र सरकार जल्द से जल्द कामगारों को वेतन और पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति करे।
प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई के अजय सिंह, झामुमो के जिलाध्यक्ष मुश्ताक आलम और मजदूर यूनियन से कमलेश सिंह मौजूद थे।