पर्यावरण का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर वर्चुअल सेमिनार का आयोजन

पर्यावरण का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर वर्चुअल सेमिनार का आयोजन

05 Jun 2023 |  34

 

 प्रतिनिधि,दुमका। सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार शर्मा की अध्यक्षता में सोमवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर वर्चुअल सेमिनार आयोजित किया गया। 

 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि पर्यावरण की स्वच्छता व सुंदरता मानव अस्तित्व के लिए जरूरी है। पर्यावरण दिवस की सार्थकता केवल इस बात से न जानी जाय लोग कार्यक्रमों के द्वारा लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाये व उनमें अपेक्षित उत्तरदायित्वों के प्रति संवेदना जगाएं अर्थात लोग न केवल वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखे, मुहल्ला स्वच्छता को प्रमोशन दे, ज्यादा पेड़ - पौधे लगाएं, प्लास्टिक मुक्त समाज रहे, धूम्रपान निषेध को बढ़ावा दे, नशा मुक्त समाज का निर्माण में सहयोग करे आदि - आदि बल्कि लोगों में इस बात का भी  रियालायजेशन करना व कराना जरूरी है कि पर्यावरण में दोष होने से लोग मानसिक रूप से निश्चितरुपेण अस्वस्थ्य हो सकते है। ऐसे में व्यक्ति न केवल बेचैनी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, भय, घबराहट, नकारात्मक विचार, अपराध भावना आदि मनोविकारी लक्षणों से ग्रसित होते दिखते है,बल्कि तनाव, चिंता, रोगभ्रम, फोबिया, विषाद , मनोग्रस्त- बाध्यता विकृति आदि जैसे मानसिक रोग का शिकार भी होते है।अस्वस्थकर वातावरण से जहां तरह- तरह की बीमारियों का शिकार होते है।वहीं सामाजिक अन्तरसंबंध भी खराब होता है। लोगों को अक्सर अनिद्रा,  संज्ञानात्मक क्षमता में बिखराव,जिससे लोग सही तर्क न दे पाते है और न सही निर्णय ले पाते है।साथ ही उनमें सामाजिक अभिरुचि की कमी व सामाजिक पलायन जैसे मानसिक रोग लक्षणों से वाशिभूत भी होते है।लोगों में भीड़, शोर शराबा, तीव्र ध्वनि, पर्याप्त बिजली, पानी, हवा आदि की कमी भी लोगों के मन को बीमारी बनाने में एक कसर नही छोड़ती है। साथ ही चीजों का रख- रखाव, क्रम, सजावट, रंग, रोशनी आदि का सही नही रहना या पाया जाना पर्यावरणीय मनोविज्ञान के स्वास्थ्य को बिगाड़ देता है। लोग असंतोष व तनाव से परेशान व गुस्सा होकर आक्रमणकारी व्यवहार करते है। इससे सृजनात्मक क्षमता सहित विकास की मनोवृत्ति को क्षति तो पहुँचता ही साथ ही सामाजिक समरसता सहित राष्ट्रीय विकास को भी अवरुद्ध करता है।इस कार्यक्रम में विधार्थियो में निशा कुमारी, सानोज कुमार गोराई, अनूप मुर्मू, छोटे लाल, उत्तम कुमार, आदि ने भी विचार रखे।

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