फर्जी अनापत्ति मामले में उपायुक्त समेत विभागीय अधिकारियों को ग्रामीणों ने लिखा पत्र, कार्रवाई की मांग

फर्जी अनापत्ति मामले में उपायुक्त समेत विभागीय अधिकारियों को ग्रामीणों ने लिखा पत्र, कार्रवाई की मांग

02 Jun 2023 |  53

 

प्रतिनिधि,टंडवा (चतरा)। प्रखंड क्षेत्र में संचालित सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना में रेलवे साइडिंग निर्माण के लिए वनाधिकार समिति से फर्जी प्रस्ताव लिए जाने का मामला प्रकाश में आया है। बता दें अंचलाधिकारी के पत्रांक 614 के आलोक में 18 मई 2023 को सेरनदाग में वनाधिकार समिति व ग्रामसभा के माध्यम से विभागीय अनापत्ति हेतु फर्जी प्रस्ताव पारित किए जाने से लोग हैरत में हैं। 

 

विदित हो कि उक्त मामले का भनक लगते हीं 31 मई को ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों की बड़ी बैठक सेरनदाग में हुई थी। जहां मौजूद वनाधिकार समिति, ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने 18 मई की आयोजित बैठक को फ़र्जी बताते हुए अपनी मौजूदगी व जानकारी होने से भी साफ इंकार कर दिया। वहीं इस मामले को लेकर गुरुवार को उपायुक्त चतरा समेत तमाम वरीय अधिकारियों को ग्रामीणों ने सौंपे गए पत्र में फर्जी प्रस्ताव अविलंब निरस्त करते हुए फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों व संलिप्ततों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है। 

 

जानकारी देते हुए आवेदक सह विधायक प्रतिनिधि गणेश प्रसाद साहू ने बताया कि समुचित कार्रवाई के लिए उपायुक्त को दिए गए आवेदन की प्रतिलिपि सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक, पुलिस अधीक्षक, एसडीओ सिमरिया, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, थाना प्रभारी तथा वन पदाधिकारी को भी दी गई है।आपको बता दें कि इस फर्जीवाड़ा मामले में अब तक किसी ने जवाबदेही नहीं लिया है।वहीं चुप्पी साधते हुए प्रतिक्रियात्मक बयान तक भी संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी नहीं की गई है। 

 

जांच व कार्रवाई की है कितनी गुंजाइस

 

मामले में अगर सच्चाई है तो जाहिर है ग्रामीणों का फ़र्जी हस्ताक्षर तथा प्रतिनिधियों व वनाधिकार समिति का मुहर प्रयोग किया जाना आपराधिक कृत्य होगा। हालांकि ऐसा ही पूर्व में एक मामला प्रकाश में आ चुका हैं, जिसमें वर्ष 2019 में मगध कोल परियोजना से एनटीपीसी में कोयले की आपूर्ति हेतु कन्वेयर कॉरीडोर निर्माण को लेकर सराढू में आयोजित ग्रामसभा में मृतकों की मौजूदगी व निरक्षरों का हस्ताक्षर किए जाने का आरोप ग्रामीणों ने लगाया था। दिलचस्प तथ्य तो यह है कि उक्त बैठक की अध्यक्षता करने वाले तात्कालिक राहम मुखिया अपनी मौजूदगी नकार चुके हैं। हालांकि उक्त मामला वर्ष 2022 में ग्रामीणों के बीच प्रकाश में आने तक काफी देर हो जाने के कारण ग्रामीणों का शोर दब गया तथा ज्ञापांक 552 के माध्यम से विभागीय अनापत्ति दिया जा चुका था। बहरहाल ऐसे आपराधिक कृत्य करने वालों पर कार्रवाई में विलंब होना उनके लिए वरदान से कम नहीं होता। संबंधित प्रशासन कितनी निष्पक्षता से कार्रवाई करती है यह देखना भी काफ़ी दिलचस्प होगा।

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